Wednesday, 30 January 2019

जिले के हर गांव में बनेगी पानी की टंकी

जिले के हर गांव  में बनेगी पानी की टंकी 
श्रावस्ती: ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध के लिए हर गांव में पानी की टंकी बनेगी। घर-घर पाइप लाइन पहुंचाई जाएगी। इसके लिए चरणबद्ध तरीके से काम शुरू किया गया है। पहले चरण में जिले के 10 गांवों को चयनित किया गया है। यह योजना उन गांवों परलागू होगी जहां पहले से किसी योजना के तहत पानी टंकी का निर्माण प्रस्तावित अथवा निर्मित न हो।

20 से 50 लाख तक आएगी लागत -
ग्राम पंचायत के सभी मजरों में आबादी के आधार पर टंकी निर्माण व पाइप लाइन बिछाने का खर्च तय किया जाएगा। 20 से 50 लाख के बीच एक टंकी पर खर्च आएगा। बो¨रग 700 से 800 फीट गहरी होगी।
10 प्रतिशत पैसा देगी ग्राम पंचायत -
परियोजना लागत का 10 प्रतिशत ग्राम पंचायत को देना होगा। इसके लिए स्वजल धारा योजना के नाम से अलग बैंक खाता खुलेगा। 10 प्रतिशत धनराशि जमा होने के बाद शेष पैसा केंद्र सरकार की ओर से इसी खाते में भेजा जाएगा।
हर घर में मिलेगा तीन कनेक्शन -
शुद्ध जलापूíत के लिए घर में पानी के तीन प्वाइंट दिए जाएंगे। एक प्वाइंट भोजनालय में, दूसरा शौचालय में तथा तीसरा प्वाइंट आंगन अथवा स्नान घर में दिया जाएगा।
हर तीन माह पर चयनित होंगे गांव-
स्वजल धारा योजना के तहत जिले के सभी ग्राम पंचायतों व मजरों को चरणवार आच्छादित किया जाएगा। एक बार में 10 गांवों का चयन होगा। यहां तीन माह में काम पूरा कर पानी कनेक्शन दे दिया जाएगा। इसके बाद अगले चरण में फिर 10 गांवों का चयन होगा।
पंप ऑपरेटर व प्लंबर की होगी तैनाती -
योजना से आच्छादित परिवारों से जल शुल्क के तौर पर 50 रुपये प्रतिमाह लिया जाएगा। इस पैसे से पंप ऑपरेटर व प्लंबर की नियुक्ति कर ग्राम पंचायत मानदेय देगी। टंकी की सफाई व पानी का क्लोरिनेशन भी होगा। पंप चलाने के लिए बिजली बिल का भुगतान 14वें वित्त आयोग से होगा।
क्या कहते हैं डीडीओ -
जिला विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी ने बताया कि ग्राम पंचायत अपने किसी भी मजरे के लिए इस योजना का लाभ ले सकती है। न्यूनतम आबादी 10 परिवार होना चाहिए। यह योजना ग्राम पंचायत पर आधारित है। इसका संचालन पूरी तरह ग्राम पंचायत ही करेगी। अधिक से अधिक गांव इससे लाभावंवित हों, इसके पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।

Tuesday, 29 January 2019

                   
कुप्रबंधन ने फीका किया श्रावस्ती महोत्सव का रंग
श्रावस्ती: उत्साह के साथ शुरू हुए श्रावस्ती महोत्सव का रंग कुप्रबंधन के चलते फीका हो रहा है। अतिथियों के बैठने का स्थान तो आरक्षित है, लेकिन यहां किसी के भी बैठने से रोक नहीं है। अति महत्वपूर्ण लोगों की दीर्घा में अर्दली, चपरासी व लिपिक बैठे नजर आए। इसी प्रकार प्रेस दीर्घा में वाहन चालक व सफाईकर्मियों का कब्जा रहा। विशिष्ट होने का पास लेेकर परिवार समेत कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे अधिकारी भटकते देखे गए।

चित्र- महोत्सव सभागार में वीवीआईपी के लिए लगे सोफे पर बैठे कर्मचारी.
विकास क्षेत्र इकौना के बौद्ध तीर्थ क्षेत्र में चाइना मंदिर के निकट चल रहे श्रावस्ती महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम मुख्य आकर्षण होते हैं। इसके लिए बने भव्य पांडाल में प्रवेश के लिए चार दरवाजे बना गए हैं। अति विशिष्ट अतिथि, महिला, प्रेस व सामान्य लोगों के लिए अलग-अलग दीर्घा बनाई गई है। महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए विशिष्ट लोगों को आमंत्रण पत्र दिया गया है। प्रवेश द्वार पर पहरा होता है, लेकिन पांडाल में प्रवेश करने के बाद मनमाफिक कुर्सी लेकर बैठने के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। बीते वर्ष हुए महोत्सव में भी यह अव्यवस्था देखने को मिली थी। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने सीख नहीं ली। सोमवार को यहां पांडाल में स्थान न मिलने से कई अधिकारी भटकते देखे गए। रुतबे के हिसाब से सम्मानजनक कुर्सी न मिलने से नाराज कांग्रेस नेता नसीम चौधरी ने हंगामा भी काटा



कहने को श्रावस्ती महोत्सव,  दिखने में  दलित चिंतन महासभा
- सामाजिक एकता व अखंडता के मंच जिताऊ दावे श्रावस्ती महोत्सव में तार-तार होते दिखेयहां मंच पर मुंशी प्रेमचंद के लिखित नाटक सद्गति के मंचन के दौरान ऐसा महसूस हुआ कि हम दलित चिंतन महासभा में बैठे होंहिंदू धर्म मे सैकडों वर्ष पूर्व व्याप्त कुरीतियां जो आज के दौर में अपनी प्रासंगिकता खो चित्र - नाटक  का  मंचन करते कलाकार
चुकी है उनका चित्रण नाटक के माध्यम से किया गया। ब्रह्मण को उन कुरीतियों के लिए जिम्मेदार दर्शाया गयाऐसा लगा कि किसी विशेष उद्देश्य से भर चुके घाव को कुरेदकर समाज के अलग-अलग वर्णों एक दूसरे के खिलाफ रहने का संदेश दिया जा रहा हो। सरकारी मंच से हुए इस कार्यक्रम की मौजूद लोगों ने निंदा की। हर शिक्षित आंखों में सवाल था कि महोत्सव के लिए इस कार्यक्रम का चयन किसने किया। इसके पीछे क्या उद्​देश्य थे? बता दें कि यह आयोजन बौद्ध तीर्थ क्षेत्र में हो रहा है।

Monday, 28 January 2019

बिना शह के कैसे फल फूल रहे अवैध नर्सिंग होम.....
-कागजी ही है बेटी-बचाओ, बेटी- पढ़ाओ का नारा
श्रावस्ती: इन दिनों बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चल रहा हैलोगों को जागरूक करने के लिए पोस्टर, बैनर रैली, गोष्टी आदि सरकारी तामझाम भी दिख रहे हैंइस सब के बीच कर्यक्रम की मंशा पर जिम्मेदारों की निष्ठा सवालों के घेरे में है

इकौना क्षेत्र में एक ही दिन नाली में भ्रूड़ व नाले में नवजात बच्ची का शव मिलना व्यवस्था की नीव खोखली होने की पुष्टी करता हैचर्चा अाम है कि नगर में धड़ल्ले से अवैध नर्सिंग होम चल रहे हैंबिना अथाॅरिटी के डॉक्टर तो अपनी दुकान चला ही रहे हैंएएनएम व आशा भी जच्चा बच्चा केंद्र संचालित कर रही हैं। वर्षों से चल रहे इन केंद्रों पर भ्रूड़ हत्या आम बात हैसवाल उठता है कि जो बात आम चर्चा में है, क्या स्वास्थ्य व प्रशासनिक महकमें के जिम्मेदार उससे अनभिज्ञ हैं? क्या जिम्मेदारों की शह के बिना यह अवैध नर्सिंग होम चल सकते हैं? बताया जाता है कि इकौना नगर में जिस स्थान पर भ्रूड़ मिला है उसके आसपास भी अवैध नर्सिंग होम संचालित है। रविवार को भ्रूड़ व नवजात बच्ची का शव मिलने के बात सोमवार को एक टीम ने इकौना में छापामारी की। इस दौरान अवैध दुकानों के शटर बंद मिले। अवैध दुकान चला रहे लोगों को छापामारी की सूचना पहले से कैसे मिल गई। इस सवाल का उत्तर नहीं मिल सकता। सुर्खियों में आए इस मामले की फाइल भी वजनदार बंडल हाथ हाथ लगते ही दबा दिया जाएगा। इसके लिए कार्रवाई की औपचारिकता पूरी कर ली गई हैऐसी व्यवस्था में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ ढ़ोंग व प्रचार प्रसार के प्रशासनिक प्रयास सरकारी धन को डकारने का माध्यम ही नजर आ रहा है

Sunday, 27 January 2019

बुद्ध की धरती का बढ़ रहा सियासी पारा
-लोक सभा चुनाव के लिए जनता की नब्ज टटोलने लगे दिग्गज
भूुपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती: लोक सभा चुनाव में भले अभी छह माह से अधिक का समय है, लेकिन हिमालय की तलहटी में स्थित बुद्ध की धरती का सियासी पारा ठंड के मौसम में ही बढने लगा है। धर्मिक यात्रा के बहाने दिग्गजों ने यहां पहुंच कर जनता की नब्ज टटोलना शुरू कर दिया है वर्तमान में सत्तासीन दल के बैनर से बढ़ी चहलकदमी इन दिनों चर्चा में है
सियासत में सत्ता की आहट काे महसूस कर हवा के साथ चलने वाली श्राावस्ती की जनता ने पिछले लोक सभा चुनवा में भाजपा को चुना और दद्​दन मिश्र के जीत का ताज पहनाया। ऐसा माना जा रहा है लगभग साढ़े चार सालों में वर्तमान सांसद की लोकप्रियता घटी हैकयास लगाए जा रहे हैं सत्ता में बने रहने के लिए भजपा कुछ वर्तमान सांसदों का टिकट काट सकती है। भगवा बिग्रेड से यहां उम्मीदवारी के लिए बढ़ती कतार इन कयासों और मजबूती दे रहे हैं। सूबे में सपा शासन के दौरान यहां जिलाधिकारी रहे निखिल चंद्र शुक्ल ने सरल व्यवहार से अपनी अलग छवि बनाई थी। भूमि विवाद निस्तारण का श्रावस्ती माडल, शहर को 24 वा गांवों 20 घंटे बिजली, कुपोषण के खिलाफ गांव-गांव में स्वास्थ्य मेला यह सब उनके सफल प्रयोग थे। शासन ने भी इसे सराहा था। उन्होंने अपने आवास के प्रवेश द्वार पर जनता से मिलने का समय 24 घंटे लिखवाकर हर किसी को अपना मुरीद बना लिया था। अब वे इस छवि के सहारे राजनैतिक सफर तय करना चाह रहे हैं। इन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री वा लोकसभा चुनाव के लिए यूपी के प्रभारी जेपी नड्डा का करीबी भी बताया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वसनीय नृपेंद्र मिश्र के पुत्र व पूर्व सांसद पं़ बदलूराम शुक्ल के नाती साकेत मिश्र भी यहां से लोकसभा के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैंपांडव कालीन विभूतिनाथ शिव मंदिर में दर्शन पूजन के बहाने वे कार्यकताओें के बीच हाजिरी लगा चुके हैं। पूर्व में गांधी-नेहरू परिवार के करीबी रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शरद त्रिवेदी संघ के सहारे तो बहराइच जिले की मूल निवासी स्वाती तिवारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय के सहारे लोक सभा चुनाव के टिकट की आस लगाए हैंइन नेताओं की चहलकदमी भी बढ़ गई है