बुद्ध की धरती का बढ़ रहा सियासी पारा
-लोक सभा चुनाव के लिए जनता की नब्ज टटोलने लगे दिग्गज
भूुपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती: लोक सभा चुनाव में भले अभी छह माह से अधिक का समय है, लेकिन हिमालय की तलहटी में स्थित बुद्ध की धरती का सियासी पारा ठंड के मौसम में ही बढने लगा है। धर्मिक यात्रा के बहाने दिग्गजों ने यहां पहुंच कर जनता की नब्ज टटोलना शुरू कर दिया है। वर्तमान में सत्तासीन दल के बैनर से बढ़ी चहलकदमी इन दिनों चर्चा में है।
सियासत में सत्ता की आहट काे महसूस कर हवा के साथ चलने वाली श्राावस्ती की जनता ने पिछले लोक सभा चुनवा में भाजपा को चुना और दद्दन मिश्र के जीत का ताज पहनाया। ऐसा माना जा रहा है लगभग साढ़े चार सालों में वर्तमान सांसद की लोकप्रियता घटी है। कयास लगाए जा रहे हैं सत्ता में बने रहने के लिए भजपा कुछ वर्तमान सांसदों का टिकट काट सकती है। भगवा बिग्रेड से यहां उम्मीदवारी के लिए बढ़ती कतार इन कयासों और मजबूती दे रहे हैं। सूबे में सपा शासन के दौरान यहां जिलाधिकारी रहे निखिल चंद्र शुक्ल ने सरल व्यवहार से अपनी अलग छवि बनाई थी। भूमि विवाद निस्तारण का श्रावस्ती माडल, शहर को 24 वा गांवों 20 घंटे बिजली, कुपोषण के खिलाफ गांव-गांव में स्वास्थ्य मेला यह सब उनके सफल प्रयोग थे। शासन ने भी इसे सराहा था। उन्होंने अपने आवास के प्रवेश द्वार पर जनता से मिलने का समय 24 घंटे लिखवाकर हर किसी को अपना मुरीद बना लिया था। अब वे इस छवि के सहारे राजनैतिक सफर तय करना चाह रहे हैं। इन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री वा लोकसभा चुनाव के लिए यूपी के प्रभारी जेपी नड्डा का करीबी भी बताया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वसनीय नृपेंद्र मिश्र के पुत्र व पूर्व सांसद पं़ बदलूराम शुक्ल के नाती साकेत मिश्र भी यहां से लोकसभा के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। पांडव कालीन विभूतिनाथ शिव मंदिर में दर्शन पूजन के बहाने वे कार्यकताओें के बीच हाजिरी लगा चुके हैं। पूर्व में गांधी-नेहरू परिवार के करीबी रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शरद त्रिवेदी संघ के सहारे तो बहराइच जिले की मूल निवासी स्वाती तिवारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय के सहारे लोक सभा चुनाव के टिकट की आस लगाए हैं। इन नेताओं की चहलकदमी भी बढ़ गई है।
-लोक सभा चुनाव के लिए जनता की नब्ज टटोलने लगे दिग्गज
भूुपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती: लोक सभा चुनाव में भले अभी छह माह से अधिक का समय है, लेकिन हिमालय की तलहटी में स्थित बुद्ध की धरती का सियासी पारा ठंड के मौसम में ही बढने लगा है। धर्मिक यात्रा के बहाने दिग्गजों ने यहां पहुंच कर जनता की नब्ज टटोलना शुरू कर दिया है। वर्तमान में सत्तासीन दल के बैनर से बढ़ी चहलकदमी इन दिनों चर्चा में है।
सियासत में सत्ता की आहट काे महसूस कर हवा के साथ चलने वाली श्राावस्ती की जनता ने पिछले लोक सभा चुनवा में भाजपा को चुना और दद्दन मिश्र के जीत का ताज पहनाया। ऐसा माना जा रहा है लगभग साढ़े चार सालों में वर्तमान सांसद की लोकप्रियता घटी है। कयास लगाए जा रहे हैं सत्ता में बने रहने के लिए भजपा कुछ वर्तमान सांसदों का टिकट काट सकती है। भगवा बिग्रेड से यहां उम्मीदवारी के लिए बढ़ती कतार इन कयासों और मजबूती दे रहे हैं। सूबे में सपा शासन के दौरान यहां जिलाधिकारी रहे निखिल चंद्र शुक्ल ने सरल व्यवहार से अपनी अलग छवि बनाई थी। भूमि विवाद निस्तारण का श्रावस्ती माडल, शहर को 24 वा गांवों 20 घंटे बिजली, कुपोषण के खिलाफ गांव-गांव में स्वास्थ्य मेला यह सब उनके सफल प्रयोग थे। शासन ने भी इसे सराहा था। उन्होंने अपने आवास के प्रवेश द्वार पर जनता से मिलने का समय 24 घंटे लिखवाकर हर किसी को अपना मुरीद बना लिया था। अब वे इस छवि के सहारे राजनैतिक सफर तय करना चाह रहे हैं। इन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री वा लोकसभा चुनाव के लिए यूपी के प्रभारी जेपी नड्डा का करीबी भी बताया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वसनीय नृपेंद्र मिश्र के पुत्र व पूर्व सांसद पं़ बदलूराम शुक्ल के नाती साकेत मिश्र भी यहां से लोकसभा के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। पांडव कालीन विभूतिनाथ शिव मंदिर में दर्शन पूजन के बहाने वे कार्यकताओें के बीच हाजिरी लगा चुके हैं। पूर्व में गांधी-नेहरू परिवार के करीबी रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शरद त्रिवेदी संघ के सहारे तो बहराइच जिले की मूल निवासी स्वाती तिवारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय के सहारे लोक सभा चुनाव के टिकट की आस लगाए हैं। इन नेताओं की चहलकदमी भी बढ़ गई है।
रोजगार व उद्योग धंधों के मामले बंजर मानी जाने वाली श्रावस्ती राजनीति के लिए सबसे उर्वर नजर आ रही है।
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