श्रावस्ती: विकास के नाम पर सिर्फ बातों के बादशाह दिखने वाले खद्दरधारियों में इच्छा शक्ति हो तो कायाकल्प हो सकता है। भारी भरकम निधि का पैसा विकास कार्य कराने को मिलता है, पर नेता जी इसका इस्तेमाल खुद के विकास पर करते हैं। पुष्ट सूत्राें की मानें तो निधि के पैसा का आधे से अधिक हिस्सा कमीशनखोरी में चला जाता है।
विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए आने वाली धनाराशि से दो माननीय 30 से 35 प्रतिशत सीधे कमीशन लेते हैं। जिस ठेकेदार में काम करने का बूता हो वह यह इतनी रकम नकद लेकर जाए। यह परिपाटी वर्षों से चली आ रही है। सूृत्रों की माने तो खद्दरधारी कमीशन का पैसा एडवांस में भी जमा करते हैं। मसलन 50 लाख रूपए के काम के लिए तीन लोगों ने नकद कमीशन जमा कर दिया तो इनमें से एक को तत्काल काम मिलेगा शेष लोगों को अगली बारी के लिए इंतजार करना होगा। कमीशनखोरी के इस खेल में जिस विभाग से काम होना होता है उसे 15 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। डीआरडीए का पांच प्रतिशत, स्टांप एक प्रतिशत, टेंडर एक प्रतिशत व एग्रीमेंट एक प्रतिशत आदि आदि खर्च जब पहले जमा हो जाता है तब ठेकेदार काम करने फील्ड में उतरता है। इस प्रकार कुल 58 से 60 प्रतिशत हिस्से में बंट जाता है। 40 प्रतिशत में ठेकेदार को काम पूरा कर अपना लाभ निकालना होता है। इस परिपाटी पर रोक लगाने वाला कोई नहीं है। यह है सुसाशन की असली तस्वीर....
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